विश्व प्रसिद्ध है कोटपूतली के भैंसलाना का ब्लैक मार्बल यूरोप समेत खाड़ी देशों में ब्लैक गोल्ड के नाम से है सुप्रसिद्ध

 विश्व प्रसिद्ध है कोटपूतली के भैंसलाना का ब्लैक मार्बल


यूरोप समेत खाड़ी देशों में ब्लैक गोल्ड के नाम से है सुप्रसिद्ध


मुगलकालीन है इतिहास, संसद के निर्माण में 500 टन से अधिक ब्लैक मार्बल का हुआ है इस्तेमाल


कोटपूतली, 28 मई 2023








नवनिर्मित भारतीय संसद के निर्माण में कोटपूतली जिले के ग्राम भैंसलाना के ब्लैक मार्बल के इस्तेमाल ने ना केवल भैंसलाना बल्कि पुरे कोटपूतली जिले को राजस्थान के साथ-साथ देश भर में सुर्खियों में ला दिया है। उल्लेखनीय है कि पीएम नरेन्द्र मोदी ने रविवार को राजधानी नई दिल्ली में देश की नई संसद का उद्घाटन किया। जिसमें राजस्थान के 06 जिलों से लाई गई वस्तुओं का इस्तेमाल किया गया है। इसमें अशोक स्तम्भ के निर्माण के साथ-साथ पत्थरों की नक्काशी का कार्य आबु रोड़ व उदयपुर के मूर्तिकारों ने किया है। वहीं लगभग दो वर्षो तक चले संसद भवन के निर्माण में अलग-अलग चरणों में 40 ट्रकों में भरकर यहाँ के ग्राम भैंसलाना से 500 टन से अधिक ब्लैक मार्बल नई दिल्ली भिजवाया गया। इस मार्बल को खानों से निकालने के बाद चिराई के लिए पहले अजमेर के किशनगढ़ फिर वहाँ से नई दिल्ली भेजा गया। जहाँ संसद भवन में अलग-अलग वस्तुओं के निर्माण के साथ-साथ मूर्तिकारों ने इस ब्लैक मार्बल में नक्काशी का कार्य किया है। जिससे भवन की खुबसूरती काफी बढ़ गई है। यह ब्लैक मार्बल नये संसद की शान बढ़ा रहा है जो क्षेत्रवासियों के लिए बेहद गर्व का विषय है। 


मुगलकालीन है इतिहास :- यहाँ से करीब 15 किमी दूर स्थित भैंसलाना ग्राम की उक्त खानों का इतिहास मुगलकालीन है। उदयपुर के मूर्तिकारों ने इस काले मार्बल पर बेहद उम्दा नक्काशी का कार्य कर भारतीय संसद को नये रूप में उकेरा है। कोटपूतली के ऐतिहासिक गाँव चतुर्भुज जो कि यहाँ से महज 05 किमी की दूरी पर स्थित है। वहाँ स्थित चतुर्भुज भगवान मंदिर में बनी मूर्ति का निर्माण भी इसी काले मार्बल से हुआ है। बताया जाता है कि इस मंदिर का निर्माण वर्ष 1567 में हुआ था। क्योंकि चतुर्भुज गाँव से ही साहबी नदी बहती है जिस पर मुगल बादशाह अकबर ने बांध बनाने का प्रयास किया था एवं विफल रहा था। इसी के बाद चतुर्भुज में मंदिर का निर्माण हुआ। इसी ब्लैक मार्बल से अन्य स्थानों पर जैसे मनोहरपुर में भी भगवान चतुर्भुज के मंदिर एवं वामन भगवान का मंदिर बनाया गया है। अन्य स्थानों पर भी इसी ब्लैक मार्बल से मंदिर व मूर्ति निर्माण का उल्लेख है जो इसकी विशिष्ठ पहचान है। विशेष चमक एवं काले चटक रंग के कारण यह ब्लैक मार्बल अलग ही छटा बिखेरता है। इसलिए इसे ब्लैक गोल्ड भी कहा जाता है। कैल्शियम की अधिक मात्रा होने के कारण यह काफी नरम होता है जो नक्काशी के दौरान औजारों के उपयोग से टुटता नहीं है एवं मूर्तिकार इसे मनचाहा रूप दे सकते है। घिसाई के बाद भी इस पर चमक रहती है। मार्बल की यह भी विशेषता है कि निरन्तर सफाई करने से इसकी चमक बढ़ती है, जिसकी वजह से इससे पत्थर की मूर्तियां, टेबल, शिलालेख, स्तम्भ व शिवलिंग आदि भी बनाये जाते है। 


ब्लैक गोल्ड के रूप में है पहचान :- भैंसलाना का यह ब्लैक मार्बल राजस्थान के मकराणा स्थित सफेद मार्बल की तरह दुनिया भर में ब्लैक गोल्ड के रूप में पहचान बना चुका है। जो कि विशेष तौर पर यूरोप सहित खाड़ी देशों में काफी लोकप्रिय है। ब्लैक मार्बल की चट्टानों को भैंसलाना की खानों से निकालने के बाद ब्लॉक के रूप में अजमेर के किशनगढ़ से चिराई कर गुजरात के कांडला पोर्ट द्वारा खाड़ी देशों में भेजा जाता है। इस व्यवसाय से बड़ी संख्या में भैंसलाना के युवा भी जुड़े हुए है। स्थानीय मार्बल व्यवसायी धर्म सिंह शेखावत का कहना है कि देश की सबसे बड़ी पंचायत में भैंसलाना के काले मार्बल का उपयोग स्थानीय ग्रामीणों के साथ-साथ पुरे कोटपूतली वासियों के लिए गर्व की बात है। नई संसद में जब सांसद बैठेगें तो इस बात का गर्व हम सभी को होगा। भारतीय संसद देश की पहचान को दुनिया भर में मजबुत करती है। ऐसे में इसकी सुन्दरता को बढ़ाने वाले ब्लैक मार्बल की प्रसिद्धि बढ़ेगी तो इसका लाभ भैंसलाना के मार्बल व्यापारियों को भी मिलेगा। इसके लिए ग्रामीण धर्म सिंह शेखावत समेत विक्रम सिंह, शम्भु सिंह, घम्मन यादव, सत्यवीर, हेमराज सिंह, सुमेर, गोविंद सिंह, आकाश पारीक व गजेन्द्र सिंह आदि ने पीएम मोदी का आभार जताया है।

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