शाहपुरा_की_राजनीति

 #शाहपुरा_की_राजनीति 💥


काफी लंबे समय बाद आज लोकल राजनीति पर कुछ लिखने जा रहा हूं, मेरी लेखनी मेरे विचारों को प्रकट करती है..! विचार पसंद आये या नही वो आपकी जिम्मेदारी है, मुझे कतई फर्क नही पड़ता,, पर सत्य लिखा ही जायेगा अब..👍


शाहपुरा के पिछले 30 - 35 साल में सिर्फ 2 परिवारों का ही राज रहा, एक भाजपा से Rao Rajendra Singh Shahpura औऱ दूसरी तरफ Alok Kumar व उनकी माताजी एवं पूर्व उपमुख्यमंत्री कमला जी बेनीवाल का..! कमला जी ने अपने समय मे बेहतर कार्य किया आमजन के लिए, विशेष रूप से किसान कौम के प्रति उठाई गई आवाज बेमिसाल रही..! पर उनके नाम पर फैलाये गए जातिवाद से शाहपुरा की आमजनता उनसे दूर होती चली गई, दूरियां इतनी अधिक बढ़ी कि एक बार कमला जी और 2 बार उनके पुत्र आलोक जी बेनीवाल को भाजपा के राव राजेंद्र सिंह से लगातार चुनाव हारने पड़े...! 

राव राजेन्द्र सिंह आजादी के इतने वर्षो बाद भी खुद को राजा ही समझते है और खुद को राजा की तरह ही जनता के सामने पेश करते है, आज भी आमजन उनके बराबर बैठने की हिमाकत नही कर सकते, राजशाही मानसिकता की झलक उनके पुत्र की सोशल मीडिया प्रोफाइल के नाम मे ही दिख जाती है - Rajkumar Devayush Singh Shahpura ,, अब जो राजशाही मानसिकता से युक्त होंगे वे आमजनता के हितों को कितना महत्व देंगे सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है, बावजूद उसके लगातार 3 बार विजयी होने के पीछे जाति विशेष के खिलाफ फैलाया गया प्रोपेगेंडा था, जिसमे 50% सच्चाई भी नही थी..!


इन्ही सबके बीच राजस्थान विश्वविद्यालय में शाहपुरा विधानसभा के ही एक लाल Manish Yadav ने जीत का परचम लहराया और ऐतिहासिक कार्यकाल में विद्यार्थियों के हित के अभूतपूर्व कार्य करवाये, जिनमे 24 × 7 लाईब्रेरी ग्रामीण पृष्ठभूमि के विद्यार्थियों के लिए रामबाण सिद्ध हुई,, युवा चेहरे के मन मे अपने क्षेत्र के लिए सेवा करने का जज्बा था इसलिए 2013 में निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़कर 22000+ वोट प्राप्त किये,, जिसने तत्कालीन राजनैतिक पंडितों को आश्चर्य में डाल दिया,, लगातार क्षेत्र से जुड़ाव, विकास कार्यो और लोगो से जुड़ाव की वजह से 2018 में कांग्रेस पार्टी ने मनीष यादव को शाहपुरा से टिकट दिया,, जिसके बाद तत्कालीन कांग्रेस के 80% जातिविशेष के पदाधिकारियों ने पार्टी से किनारा कर लिया..! इसके बावजूद शाहपुरा विधानसभा के इतिहास में कांग्रेस को सर्वाधिक मत प्राप्त हुए,, एवं 15 साल से लगातार शाहपुरा पर राज करने वाले भाजपा प्रत्याशी तीसरे स्थान पर खिसक गई,, राव राजेन्द्र सिंह ने जो राजनीति पहले जाट समाज को बदनाम करने के लिए की थी, वही मनीष यादव की लोकप्रियता से घबराकर यादव समाज को बदनाम करने के लिए करते हुए सार्वजनिक मंच से लोगो के मन मे यह कहते हुए भय उत्पन्न करने का प्रयास किया कि मनीष यादव की जीत हुई तो शाहपुरा भी यूपी - बिहार बन जायेगा..! आन्तिम परिणाम में निर्दलीय प्रत्याशी आलोक बेनीवाल को कड़े मुकाबले में विजय प्राप्त हुई..!


पिछले साल कोरोनारूपी आपदा के आने के बाद से ही टीम मनीष यादव शाहपुरा के हर जरूरतमंद की सेवा कर रही है,, एक मध्यमवर्गीय परिवार से होने के बावजूद पिछले वर्ष 32 लाख रु और इस साल 12 लाख रु के राशन किटों का प्रबंध जनसहयोग से किया है और आमजनता की सेवा कर रहे है,, पिछले दिनों ऑक्सीजन, रेमडेसिविर इंजेक्शन की आवश्यकता होने पर उनकी भी जगह जगह व्यवस्था सुनिश्चित करवाई थी..! अब इस महामारी के दौर में एक सामान्य परिवार का व्यक्ति लाखो लोगो के भरोसे पर खरा कैसे उतर रहा है, यह बात कुछ नेताओ के चमचे और अंधभक्तों को हजम नही हो रही है..! इसलिए सोशल मीडिया पर झूठ फैलाने का काम कर रहे है,, उनसे सिर्फ इतना ही कहना है तुम्हारे नेताओ ने वर्षो तक जनता को लूटा है, तुम मदद नही कर सकते तो जो मदद कर रहे है उनकी राह का रोड़ा न बनो जनता जवाब देगी वरना..💥



टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

सचिन पायलट की नई पार्टी का काम जोरों-शोरों से जारी! IPAC तैयार कर रही खाका

बिना देरी किए केंद्र सरकार अपना फैसला वापस ले.

सैनी, माली समाज के आंदोलनकार्रियों पर लाठीचार्ज करना दुर्भाग्यपूर्ण है।