मादा एक संभोग के बाद दूसरे को तैयार है। इसी नियम पर दुनिया के वेश्याघर चलते हैं ....
मादा एक संभोग के बाद दूसरे को तैयार है। इसी नियम पर दुनिया के वेश्याघर चलते हैं .... जबकि नर के दो संभोगों के बीच अंतराल होगा ही होगा..... वो पहले संभोग के बाद झटके से मादा से अलग हटेगा और सो जाना चाहेगा ये उसकी प्रकृति है। जबकि मादा की प्रकृति इसके बिल्कुल विपरीत है। वो संभोग के तुरंत बाद उसके मुँह से वो शब्द सुनने को आतुर होती हैं जो उसे गुदगुदा दें...... वो ये नहीं जानती कि नर प्रेम के बाद प्रेम नहीं कर सकता वो युद्ध के बाद प्रेम को लालायित हो सकता हैं। वो मूल रूप से शिकारी की भूमिका ही अदा करता है? हाँ सभ्य समाज में उसकी इस प्रवृत्ति को खुबसूरत लिबासों में ढका जाता है। दुनिया का सबसे बड़ा तानाशाह हिटलर रोजाना पाँच सौ आदमियों को कटवा कर अपनी प्रेमिका की गोद में सर रख कर प्रेमगीत लिखता था। उससे जुदाई के बीते लम्हों का वर्णन करते उसके गाल भीगते थे ..... अशोक कलिंग युद्ध में हुई मारकाट से दग्ध होकर प्रेमालिंगन को तड़प उठा था ... उसने बौद्ध दर्शन को अपने अंदर यूँ समाहित किया आज अशोक और बौद्ध दर्शन को अलग किया ही नहीं जा सकता॥ नेपोलियन बोनापार्ट भी अपने बख़्तरबंद कवच को उतार प्रेम